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Tuesday 13 September 2016

क्या आप जाणते है??? पृथ्वी का जन्म कब हुआ था????


पृथ्वी का जन्म आज से ४.५ अरब वर्ष पहिले हुआ था.

चंद्रमा और पृथ्वी से जुडी कुछ बाते --------
             
                     १) चंद्रमा यह पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है.  २) सेनेनोलॉजी इस विज्ञान के मदत से चंद्रमा कि सतह और उसके आंतरिक स्थिती का अध्ययन करते है. ३) चंद्रमा पर जो धूल के मैदान होते है  शांतीसागर कहते है. ४) साल जो होते है वो पृथ्वी के परिक्रमण गती से बनते है.  ५) ३६५ दिन ५ घंटे ४८ मिनटं ४६ सेकंड इतना वक्त पृथ्वी को सूर्य कि परिक्रमा करणे मी लगता है. ६) सौरवर्ष मतलब पृथ्वी कि सूर्य को एक परिक्रमा. ७) हर कॅलेंडर वर्ष मे ६ घंटे  समय बढ जाता है.  ८)पृथ्वी उसके आकार और बनावट के दृष्टी से शुक्र ग्रह के समान है. ९) पाणी के उपस्थिती के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है. १०) सौरमंडल का एकमात्र ग्रह पृथ्वी है जिसपर जिवन है. ११) सौरमंडल में सबसे बडे ग्रहो में पृथ्वी पांचवें स्थान पर है. १२) अपने अक्ष पर पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा में घुमती है. १३) अपनी चक्कर पृथ्वी २३ घंटे ५६ मिनटं ४ सेकंड में पुरा करती हैं. १४) जब पृथ्वी और सुरज के बीच कि दुरी कमं होती है उसे उपसौरिक कहते है, ऐसा ३ जनवरी को होता है. १५) जब पृथ्वी और सुरज  के बीच कि दुरी बढ जाती  है उसे अपसौरिक कहते है, ऐसा जुलाइ को होता है. १६) ५७ प्रतिशद भाग हि चंद्रमा का पृथ्वी से दिखाई देता है. १७) २७ दिन ८ घंटे में चंद्रमा पृथ्वी कि परिक्रमा करता है. १८) लिबनीटज  पर्वत यह चंद्रमा का सबसे उंचा पर्वत है. १९) नील आर्मस्ट्रांग एवं सर एडविन एल्डिन यह चंद्रमा पर पहुंचने वाले पहिले अंतरिक्ष यात्री थे. २०) 21 जुलाई 1969 ई. को चंद्रमा पर पहुंचने में अंतरिक्ष यात्रियों को सफलता मिली. २१) पहिली बार चंद्रमा पर पहूंचने वाले यात्री अपोलो -११ यान  से गये थे. 

Wednesday 7 September 2016

अगर पृथ्वी पर से सारे पेड़ काट दिए जाये तो क्या होगा?? पृथ्वी पर वायुमंडल रहेगा ????? क्या है पेड़ों की अहमियत ??


               पृथ्वी पर सभी प्राणी कार्बनडाय ऑक्साइड , मीथेन जैसी गैसों को उत्सर्जित करते हैं,  पेड़ ही है जो ऑक्सीजन छोड़ते है और कार्बनडाय ऑक्साइड ग्रहण करते है,  और ऑक्सीजन के बिना प्राणियों का जिवन असंभव है.  इसलिए पेडोंका ज्यादा मात्रा मे होना पृथ्वी पर प्रणियों के लिए बहुत अहमियत रखता है.
               हर ग्रह पर जो वायुमंडल होता है वो उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर होता है. जितना ज्यादा गरूत्वाकर्षण उतना ज्यादा घना उस ग्रह का वायुमंडल होता है. मंगल ग्रह पर वायुमंडल है लेकिन वहा एक भी पेड़ नहीं है लेकिन उसका गुरुवाकर्षण कम है इस लिए उसका वायुमंडल कम घना है. चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है तो वहा वायुमंडल नही है. तो अगर पृथ्वी पर पेड़ नहीं भी हो तब भी पृथ्वी पर वायुमंडल रहेगा.
              लेकिन पेड़ है तभी पृथ्वी पर ऑक्सीजन है तभी प्राणियों का जीवन है इस लिए पेड़ों का महत्व पृथ्वी पर बहुत ज्यादा है तो हर  इंसान ने पेड़ों को काटने बजाये जितने हो सके पेड़ लगाने चाहिए ताकि पृथ्वी पर जिवन बना रहे.

पेड़ ही जिवन है. हम जब पेड़ को काटते है तब समझ लेना की हम खुद को ही मार रहे है
किसी पेड़ को काटते वक़्त ये जरूर सोचना की अगर कुछ देर हमे ऑक्सीजन न मिले तो हमारी क्या हालात होगी हम जी नहीं पाएंगे, तो जो पेड़ हमे जीवन दे रहा है उसे ही काटकर हम खुद के लिए अच्छा काम कर रहे है या बुरा.

और जिसे भी मेरा यह पोस्ट अच्छा लगे वो कमसे कम एक पेड़ लगाके उसका अच्छी तरीके से संवर्धन करे.





Tuesday 31 May 2016

क्यों आसमान का रंग नीला होता है ?

क्यों आसमान का रंग  नीला होता है ?

               आसमान नीला क्यों है ये सवाल सदियों से हर किसी के मन में आते रहा है. लेकिन  अंतरिक्ष में अगर जाकर देखे तो आसमान नीला नहीं दिखाई देता। आकाश आसमान का तो कोई रंग होता ही नहीं है. अंतरिक्ष में असमान का  रंग काला दिखेगा. लेकिन धरती से आसमान नीला  क्यों दिखाई देता है??

               मुख्य रूप से इसका संबंध पृथ्वी के वायुमंडल से है. पृत्वी के वायुमंडल में अनेक गैसों का मिश्रण है और इन गैसों के मिश्रणोंसे पृथ्वी का वायुमंडल घिरा हुआ है. ये गैस तो है ही लेकिन इन गैसों के आलावा अनेक  पदार्थ है जैसे की धूल के कण पराग कण, गैस जो बनी होती है वो अणुओं से बनी होती है, अत्यन्त सूक्ष्म कणों से बनी होती है.   वायुमंडल में जब सूर्य की किरणे प्रकाश प्रवेश करती  है, तो वो किरणे, प्रकाश इन कनोंसे टकराती है. वैसे तो सूर्य का प्रकाश तो अनेक तरंगो से बना होता है, उनमे से सात रंगों को हमारी आँखे देख पाती है.

                जब प्रकाश किसी कण से टकरा जाता है तो वो आर पार् हो जाता है या परावर्तित हो जाता है. उनीसवीं सदी में जोन डिंटल नमक विज्ञानिक के दिखाया की सूर्य के प्रकाश के अंशों में से जब ये किरणे इन सूक्ष्म कनों से टकराकर परावर्तित हो जाती है तो नीला रंग अधिक परावर्तित होता है और लाल रंग उन कणो से आरपार निकल जाता है और कम परावर्तित होता है.

                इसलिए सूर्य प्रकाश का लाल अंश  बिना परावर्तित हुए पृथ्वी तक पहुँच जाता है, पर नीला अंश हवा  में मौजूद गैसों अणुओं , धूल कण, पराग आदि से परावर्तित हो जाता है. और बहुत देर तक हवा में ही बना रहता है. इसी परावर्तित हुई रोशनी के कारण आकाश हमे नीला दिखाई देता है.


आपको पता है ??? दुनिया के वो ५ देश जहा सूरज का अस्त नहीं होता !!!!!

आपको पता है  ???  दुनिया के वो ५ देश जहा सूरज का अस्त नहीं होता !!!!!

              हम सब के मन में कभी ना  ये बात जरूर आती होगी की अगर सूरज का अस्त नहीं हुआ तो
कितना अच्छा होगा. हर तरफ रोशनी ही रोशनी. लेकिन सूरज के आगे कभी किसी का चलता है?सूरज
अपनी मर्जी का मालिक है , अपनी मर्जी से निकलना और अपनी मर्जी से अस्त होना यह उसका मनो
 कर्तव्य ही है जो वो बिना भूले हर रोज निभाता है.
              लेकिन दुनिया ऐसे भी देश है जहां साल में कुछ दिनों तक सूरज का अस्त नहीं होता, है न 
मजेदार बात, तो आइये देखते है ऐसे कौन कौनसे देश है जहाँ दिन रात सूरज अपनी रोशनी बिखेरता
रहता है.

१) नोर्वे -  यह देश आर्क्टिक सर्कल के अंदर आता है, इसे कई लोग मध्यरात्रि का देश भी कहते है. मई से जुलाई के बिच करीब ७६ दिनों तक यहाँ सूरज का असत नहीं होता। 

२) आइसलैंड - ग्रेट ब्रिटेन के बाद यह यूरोप का सबसे बड़ा आइलैंड  है. यहां आप रात में भी सूरज की    रोशनी का आनंद ले सकते हैं. यहां 10 मई से जुलाई के अंत तक सूरज नहीं डूबता है. यहां घूमना आपके लिए काफी यादगार साबित हो सकता है

३) कनाडा - दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश जो अर्से तक बर्फ से ढका रहता है. हालांकि यहां के उत्तरी-पश्च‍िमी हिस्से में गर्मी के दिनों में 50 दिनों तक सूरज लगातार चमकता रहता है.

४) अलास्का यहां मई से जुलाई के बीच में सूरज नहीं डूबता है. अलास्का अपने खूबसूरत ग्लेशियर 
के लिए जाना जाता है. मई से लेकर जुलाई के महीने में बर्फ को रात में चमकते  देखना कितना आनंददायक हो सकता है, इसकी कल्पना तो आप कर ही सकते हैं.

५) फ़िनलैंड  हजारों झीलों और आइलैंड्स से सजा हुआ यह देश काफी सुंदर और आकर्षक है. गर्मी के मौसम   में यहां करीब 73 दिनों तक सूरज अपनी रोशनी बिखेरता रहता है. घूमने के लिहाज से यह देश काफी अच्छा है.

मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मुख्य प्रावधान


मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित है: 

• राज्य सरकार 25 लाख रूपये तक का उद्योग या व्यवसाय स्थापित करने के लिए बैंक गारन्टी और 5 वर्ष तक 5 प्रतिशत की ऋण सबसिडी देगी.
• ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और शहरी क्षेत्रों में उद्योग और वाणिज्य विभाग द्वारा योजना लागू की जायेगी.
• योजना के तहत बैंकों को एक महीने के भीतर ऋण के मामले निपटाने होंगे.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 50 हजार रूपए से लेकर 25 लाख रूपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा.
• योजनांतर्गत हितग्राहियों को मार्जिन मनी सहायता तथा ब्याज अनुदान की सुविधा देने का प्रावधान.
• उद्योग एवं सेवा उद्यमों के लिये सीजीटी-एमएसई (क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माईक्रो एण्ड स्माल एंटरप्राइजेस) योजनांतर्गत देय गारंटी शुल्क की राशि का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जायेगा.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत आय सीमा का कोई बंधन नहीं है.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश है.
• इस योजना के क्रियान्वयन हेतु वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग नोडल विभाग होगा.
• ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्रों में वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जाना है.
• इस योजना के तहत आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो एवं दसवीं उत्तीर्ण हो.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष के मध्य हो.
• अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला, निःशक्तजन उद्यमी हेतु अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट.
• ऋण गारंटी निधि योजना अंतर्गत गारंटी शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा केवल उद्योग एवं सेवा क्षेत्र के लिये देय, व्यवसाय क्षेत्र के लिये नहीं.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आवेदक किसी भी बैंक, वित्तीय संस्था का चूककर्ता, अशोधी नहीं होना चाहिये.
• यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी अन्य सरकारी योजना के अंतर्गत पूर्व से सहायता प्राप्त कर रहा है, तो वह मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत पात्र नहीं.
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत आईटीआई, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग, अन्य अधिकृत संस्थाओं द्वारा प्रदत्त माड्यूलर एम्पलायबल स्किल्स प्रमाण-पत्र, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की सर्वे सूची में अंकित हितग्राही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं निःशक्तजन एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षित हितग्राही को प्राथमिकता.

अध्यादेश क्या है-------


अध्यादेश क्या है-------
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भारतीय संविधान_अनु 123-राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है यह तब जारी होगा जब राष्ट्रपति संतुष्ट हो जाये कि परिस्थितियाँ ऐसी हो कि तुरंत कार्यवाही करने की जरूरत है तथा संसद का 1 या दोनॉ सदन, सत्र मे नही है तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है;
''अस्थाई विधि''-अध्यादेश की जरूरत तुरंत हो सकती है जबकि संसद कोई भी अधिनियम पारित करने मे समय लेती है अध्यादेश को हम अस्थाई विधि मान सकते है.
Important Point----
1.
यह राष्ट्रपति की शक्ति के अन्दर आता है.
2. राष्ट्रपति का अध्यादेश न्यायिक समीक्षा का विषय़ है.
3. प्रत्येक जारी किया हुआ अध्यादेश संसद के दोनो सदनो द्वारा उनके सत्र शुरु होने के 6 हफ्ते के भीतर स्वीकृत करवाना होगा.
4. कोई अध्यादेश संसद की स्वीकृति के बिना 6 मास अधिक नही चल सकता है.
5. लोकसभा अध्यादेश को अस्वीकृत करने वाला प्रस्ताव 6 सप्ताह की अवधि समाप्त होने से पूर्व पास कर सकती है

क्या होता है विधेयक


क्या होता है विधेयक

       क्या होता है विधेयक दरअसल जब किसी नये कानून का निर्माण किया जाना होता है या पुराने कानून में बदलाव किया जाना होता है तो उसके प्राथमिक चरण को अधिनियम कहते हैं। इस प्राथमिक चरण में नये कानून को बनाने के मुख्य प्रस्ताव, सुझाव या पुराने कानून में बदलाव के प्रस्ताव या सुझाव होते हैं। विधेयक कानून नहीं होता है विधेयक को प्रस्ताव के तौर पर भी समझा जा सकता है जिसे कानूनी अमला पहनाने के लिए कई रास्तों से गुजरना होता है। विधेयक दो प्रकार के होते हैं। सार्वजनिक औ र असार्वजनिक विधेयक। लेकिन अगर इसके इतर कोई विधेयक सरकार द्वारा प्रस्तावित किया जाता है तो उसे सरकारी विधेयक कहते हैं। सरकार विधेयक भी दो प्रकार के होते हैं। सामान्य और धन विधेयक। पर जब संसद का कोई साधारण सदस्य सार्वजनिक विधेयक प्रस्तुत करता है तब इसे प्राइवेट विधेयक कहते हैं। विधेयक को कानून बनाने के लिए 5 चरणों से गुजरना होता है तीन चरणों में विधेयक पर दोनों सदनों लोकसभा, राज्यसभा में चर्चा की जाती है। हर चरण में चर्चा के बाद विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाता है। तीन चरण की चर्चा के बाद चौथे चरण के अंतर्गत विधेयक को दोनों सदनों की साझा बैठक में पास किया जाता है। विधेयक के आखिरी चरण यानि पांचवे चरण में इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति की मुहर के बाद विधेयक कानून का रूप लेता है। विधेयक को कानून बनने से पहल कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। लोक सभा और राज्य सभा में इस पांच चरणों से होकर गुजरना होता है। प्रथम तीन चरण में विधेयक पर चर्चा होता है। विधेयक को पास करने के लिए इसे संसद के किसी एक सदन में पेश करना होता है। विधेयक को मंत्री या व्यक्तिगत सदस्य पेश कर सकता है विधेयक को या तो मंत्री या कोई प्राइवेट सदस्य पेश कर सकता है। संसद में विधेयक को पेश करने के लिए विधेयक के मुखिया को इसकी इजाजत देनी होती है और इसके बाद इस सदन में पेश किया जाता है। लेकिन अगर इस चरण पर विधेयक का विरोध होता है तो सदन के अध्यक्ष इस पर संक्षिप्त बयान देने के लिए विपक्ष के सदस्य और विधेयक को पेश करने वाले मुखिया को इजाजत दे सकती हैं। विधेयक पर चर्चा के बाद इस पर सवालों और संशोधनों पर वोट कराया जाता है इस चरण के बाद के विधेयक पर चर्चा की जाती है। इसके बाद विधेयक से जुड़े सवालों को वोट के लिए सदन में रखा जा सकता है। इस प्रक्रिया के बाद जब विधेयक सदन में पास हो जाता है तो इसे आधिकारिक राजपत्र के तौर पर पब्लिश किया जाता है। वहीं विधेयक को सदन में पेश किये जाने से पहले भी स्पीकर की इजाजत से पब्लिश किया जा सकता है। चर्चा के बाद विधेयक में संशोधन के सुझाव को शामिल किया जाता है इसके बाद विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी में भेजा जाता है। इस चरण में विधेयक को संचालक अधिकारी विधेयक की जांच करके इसपर एक रिपोर्ट बनाता है। स्टैंगिंग कमेटी विधेयक पर इसके विशेषज्ञों से राय ले सकती है। इसके बाद कमेटी के सुझावों पर विधेयक में शामिल किया जा सकता है। इस तरह विधेयक को तीन चरणों पर सदन में पेश किया जाता है, फिर उसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाता है। इसके बाद तीसरे चरण में विधेयक में संशोधन के लिए दिये गये प्रस्ताव को जोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया समान रूप से लोकसभा और राज्यसभा में अपनायी जाती है। 

         राष्ट्रपति की मुहर के बाद विधेयक लेता है कानून का रूप इसके बाद विधेयक के लिए दोनों सदनों की साझा बैठक में इसकी चर्चा की जाती है। इस चरण के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। आखिरकार में जब राष्ट्रपति इस विधेयक पर अपनी मुहर लगा देते हैं तो यह विधेयक कानून का रूप ले लेता है और इसे पूरे देश में लागू किया जाता है