Tuesday 3 May 2016

कल्पना चावला एक उड़ान

         
             कल्पना चावला का जन्म भारत के करनूल, हरयाणा में एक पंजाबी हिन्दू परिवार में हुआ था. कल्पना का मतलब कल्पना करना इमेजिनेशन उनके काम और नाम में बहुत समानता रही. उड़ान के प्रति उनकी बहुत रूचि थी. और आगे उसी क्षेत्र में उन्होंने बहुत सी उपलब्धियां हासील की. जे आर डी  टाटा जो एक पायलट  और उद्योगपती है उनसे कल्पना चावला प्रेरित हुई. 

           कल्पना चावला की स्कूली शिक्षा करनूल के टैगोर पब्लिक स्कुल में हुई, उनकी आगे की पढाई १९८२ ंसे चड़ीगढ़ में पंजाब इंजीनियरिंग  में हुई आगे १९८४ में टेक्सास विश्वविध्यालय से उन्होंने एरोस्पेस इंजिनयरिंग में मास्टर ऑफ़ साइंस की डिग्री ली. 

           आगे १९८८ में कल्पना चावला ने नासा में काम करना शुरू किया। १९९४ में उनका चयन नासा ने अन्तरिक्ष यात्रियों के १५ वे ग्रुप में किया, इसी तरह कल्पना चावला का एक अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयन हुआ. 

            जानसन स्पेस सेंटर में एक साल के प्रशिक्षण के बाद उनकी अन्तरिक्ष यात्री के प्रतिनिधी के रूप में नियुक्ति की गई. वहाँ उनके दो प्रमुख काम थे, १. रोबोटिक उपकरणोंका विकास करना, २) स्पेस शटल को नियंत्रित करनेवाले सॉफ्टवेयर का प्रयोगशाला में टेस्टिंग करना. 

            कल्पना चावला का पहला उड़ान एस टी एस ८७ कोलम्बिया शटल से सम्पन्न हुआ, ये मिशन १९ नवम्बर १९९७ से ५ दिसंबर १९९७ तक रहा , इस मिशन में अन्तरिक्ष  भारहीनता किस तरह से भौतिक क्रियाओंको प्रभावित करती है इसका परिक्षण किया गया।  ये मिशन ३७६ घंटे और ३४ मिनट तक रहा. 
इस दौरान शटल ने धरती की २५२ परिक्रमाएं की. 

             कल्पना की दूसरी उड़ान १६ जनवरी २००३ को स्पेस कोलम्बिया से शुरू हुई लेकिन दुर्भाग्य से ये उनकी आखरी उड़ान रही. ये १६ दिन का अन्तरिक्ष उड़ान था जो पूरी तरह से विज्ञानं और अनुसंधान पर आधारित था. 
इस मिशन में अन्तरिक्ष यात्रिओ ने २ दिन तक काम किया और ८० परिक्षण और प्रयोग संपन्न किये थे. लेकिन १ फरवरी २००३ को स्पेस कोलम्बिया लेंडिंग से पहले ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया. जिसमे कल्पना के साथ ६ अन्तरिक्ष यत्रीओंका मृत्यु हो गयी. 

             उनका दूसरा उड़ान देखने उनका परिवार भारत से अमरीका गया था।  उड़ान  बाद पूरा परिवार उनके वापसी का  इंतज़ार कर था, लेकिन वक़्त को  कुछ और ही मंजूर था. 

             कल्पना वापिस नहीं आयी वो कल्पनाओं में ही खो गई। 

.... किसी ने उनको पूछा की आपको अन्तरिक्ष इस विषय में रूचि कैसे उत्पन्न हुई,  विज्ञानं के कोनसे चीज ने आपको आकर्षित किया. 

उनका जवाब - जब में हाई स्कूल में पढ़ रही थी तो में सोचा करती थी में  भग्यशाली हूँ जो मेरा करनाल जैसे शहर में जन्म हुआ. जहां उस समय भी फ्लाईंग क्लब थे. मैं छोटे छोटे पुष्पक विमान उड़ते हुए देखती थी. मैं और मेरा भाई कभी कभी इन उड़ते हुए विमानों को देखा करते. साथ साथ अपने पिताजी से भी पूछती रहती क्या मैं इन वायु यानो में बैठकर उड़ सकती हूँ. हमारे पिताजी उस वक़्त हने उन फ्लाईंग क्लब में लेजाते और पुष्पक विमानों की सैर कराते थे मैं समझती हूँ वही से ही मुझे एरोस्पेस इंजीयरिंग के प्रति रूचि हुई. उम्र के साथ मैंने जे आर डी  टाटा का नाम सुना जिन्होंने भारत में मेल भेजने के लिए वायुयानों का उपयोग किया तभी इन्ही सब बातों  के कारन जब में पढ़ रही थी तब कोई मुझसे पूछता   बढ़ी होकर क्या बनोगी तो में कहती एरोस्पेस इंजीनियर। 

 किसी ने उनको पूछा  किन लोगों से आप प्रेरित हुई किससे आपको प्रेरणा मिली. 

उनका जवाब - मुझे जीवन में अनेक लोगोंसे प्रेरणा मिली सबसे अधिक अपने अध्यापकों और किताबों से। 


कल्पना चावला की जीवन से सम्बंधित कुछ बाते। ..... 

१) प्रथम भारतीय अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री जन्म भारत में हुआ बाद में वह अमरीकी नागरिक बन गई. 
२) १९९४ में नासा में अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयन. 
३) अमरीकी डॉक्टरेट और एरोस्पेस इंजीरिंग में एम एस 
४) अन्तरिक्ष में जाने वाली दूसरी भारतीय महिला। ..... पहले यात्री राकेश शर्मा थे. 
५) फ्रांसीसी जान पियर से शादी जो एक फ्लाईंग इंस्ट्रक्टेर थे. 


                  

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