Sunday 15 May 2016

कुतुबमिनार भारत कि विश्व धरोहर !!!! क्या आप जानते है इसके बारे में ????

             कुतुबमिनार एक एसी मिनार जो  विश्व कि सबसे उंची मिनार है. और ये मिनार दिल्ली में मेहरोली इलाके में है. कुतुबमिनार कि उंचाई  ७२.५ मीटर ( २३७.८६ फिट )  है. और कुतुबमिनार  व्यास १४. मीटर है, जो कि  जाकर २. मीटर हो जाता है. कुतुबमिनार में लगभग ३७९ सिढियां हैं , कुतुबमिनार के  चारो ओर भारतीय कला के उत्कृष्ट नमुने हैं. कई कलाओंका निर्माण तो ११९३ पूर्व में हुआ हैं.
कुतुबमिनार इस भारत कि खुबसुरत धरोहर को युनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया है.

             जाम कि मिनार जो कि अफगाणिस्तान में हैं उससे प्रेरित होकर  उससे भी उंची मिनार बनाने कि इच्छा दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन एबक कि थी. इसी इच्छा से ११९३ में कुतुबमिनार के निर्माण का प्रारंभ हुआ. लेकिन कुतुबुद्दीन एबक सिर्फ इसका आधार हि बनवा पाया. उसके मृत्यू के बाद उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ( इल्तुतमिश  -  जो कि कुतुबुद्दीन एबक का दामाद था, और दिल्ली सल्तनत से  गुलाम वंश का एक प्रमुख शासक था  कुतुबुद्दीन एबक के कार्यकाल के बाद इल्तुतमिश उस शासको में था जिससे दिल्ली सल्तनत कि नीव मजबूत हुई. उसने १२११ इस्वी से १२३६ इसवी तक शासन किया. उसके राज्याभिषेक के समय तुर्क अमीरओ ने उसका बहुत विरोध किय. कुतुबुद्दीन एबक कि मूत्यू अकस्मात हुई थी तो वो उसके पश्च्यात उत्तराधिकारी का चुनाव वो नही कर सका था. तो उसके मृत्यू के बाद लाहोर के तुर्क अधिकारीयो ने कुतुबुद्दीन के विवादित पुत्र ( जिसे इतिहासकार नही मानते) उसको गद्दी पे बिठाया, परंतु दिल्ली तुर्क सरदारो के विरोध के बाद इल्तुतमिश जो कि बदायु का सुबेदार था उसे दिल्ली बुलाकर उसे राज्यसिहासन पर बिठाया दिया गया. आरामशहा और इल्तुतमिश  के बीच दिल्ली के नजदीक जड नामक स्थान पर संघर्ष हुआ, जिसमे आरामशहा को बंदी बनाकर उसकी हत्या कर दि गई. इस तरह एबक वंश का शासन समाप्त होकर इल्बारी वंश का शासन प्रारंभ हुआ.) उस  ने इस में तीन मंझीलो को बढाया. .इसके बाद फिरोजशहा तुगलक जो कि दिल्ली सल्तनत का तुगलक वंश का शासक था उसकी हूकूमत १३५१ से १३८८ तक रही उसने कुतुब मिनार कि पांचवी और अंतिम मंझील बनवाई. एबक से तुघलक तक इस वस्तू में बहुत सारे बदलाव हुये कुतुब मिनार पुरातन दिल्ली शहर दिल्लीका  के  प्राचीन किले लालकोट के अवशेषोसे बनी हैं.

              कुतुबमिनार के निर्माण उद्देश्य के बारे में कहा जाता है कि वो इस्लाम कि दिल्ली पर विजय के रूप में बनी. इसको कुतुबमिना र नाम क्यू दिया गया इस पर भी विवाद हैं कुछ पुरातत्व शास्त्रियो का कहना है इसका नाम कुतुबुद्दीन एबक के नाम से पडा तो कुछ का मानणा है इसका नाम बगदाद के प्रसिद्ध संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काफी के नाम पर है. इल्तुतमिश उनका बहुत आदर किया करता था . इसलिये  कुतुबमिनार को  ये नाम दिया गया.


             कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने ११९३ में शुरू करवाया था। पर ऐबक केवल काम शुरू ही करवा सका था कि उसकी मृत्यु हो गई। इल्तुतमिश ने जो ऐबक के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा, इसमें तीन मंजिलें जुड़वाईं। कुतुबमीनार में आग लगने के बाद उसका पुनर्निर्माण फिरोज शाह तुगलक के समय मे. हुआ। इसकी मरम्मत तो फ़िरोज शाह तुगलक ने (१३५१–८८) और सिकंदर लोधी ने (१४८९–१५१७) करवाई मेजर आर.स्मिथ ने इसका जीर्णोद्धार १८२९ में करवाया था.

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